Teachers day speech in Hindi

Teachers day speech in Hindi लिखने से पहले यह जान लेना जरुरी है कि शिक्षक दिवस कब और क्यों मनाया जाता है ? इसके बाद शिक्षक दिवस के महत्व को समझेंगे । अंतिम में Teachers day speech in Hindi के बारे में बताया जायेगा जिसे आप PDF के रूप में डाउनलोड भी कर सकेंगे । सबसे पहले डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जीवनी को जान लेते हैं जिनके जन्मदिन पर शिक्षक दिवस मनाया जाता है । इसके साथ ही हमें यह भी समझने की जरुरत है कि किसी व्यक्ति की अच्छी विचारधारा समाज के ऊपर कितना प्रभाव डालती है। तो चलिए डॉ राधाकृष्णन के जीवनी पर नज़र डालते हैं ।

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जीवनी

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितम्बर 1888 को तमिलनाडु के तिरुतनी ग्राम में हुआ था । उनके पिता का नाम सर्वपल्ली विरासमियाह था। डॉ राधाकृष्णन के पूर्वज सर्वपल्ली ग्राम से ताल्लुक रखते थे बाद में वे तिरुतनी ग्राम आये थे। अपने ग्राम के पहचान को याद रखने के लिए सभी परिजन नाम के आगे सर्वपल्ली लगाते थे। छोटी उम्र में ही उनका विवाह शिवकामू नाम की युवती से हुआ था । उस समय उनकी उम्र मात्र 16 वर्ष थी। बचपन से ही वे एक मेधावी छात्र थे । नई-नई चीजें सीखने का उन्हें बहुत शौक था ।

उन्होंने सन 1902 में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की । 1918 में दर्शन शास्त्र में m.a. करने के पश्चात मैसूर विद्यालय में दर्शनशास्त्र के सहायक शिक्षक नियुक्त हुए । एक शिक्षक का दायित्व निर्वहन करते हुए उन्होंने कई लेख तथा पुस्तकें लिखी । उन्होंने अपने लेखों और भाषणों के माध्यम से विश्व को भारतीय दर्शनशास्त्र से परिचित कराया । पूरे विश्व में बहुत सराहा गया ।

संविधान बनाने में योगदान

यह उनकी प्रतिभा ही थी कि उन्हें संविधान के निर्मात्री सभा का सदस्य बनाया गया । वे 1947 से 1949 तक इसके सदस्य रहे । सन 1952 में उन्हें उपराष्ट्रपति बनाया गया । सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने इस दायित्व हो भी जिम्मेवारी के साथ निभाया । भाषा में उनकी बहुत अच्छी पकड़ थी । दृढ़ता और विनोदी स्वभाव के लिए लोग उन्हें आज भी याद करते हैं । संसद के सभी सदस्यों ने उनके कार्य और व्यवहार की काफी सराहना की ।

Teachers day speech in Hindi
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन

उपलब्धियाँ

सन 1921 में ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा उन्हें सर की उपाधि मिली थी । सन 1954 में भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने दर्शन शास्त्र तथा शैक्षणिक उपलब्धियों के लिए उन्हें देश का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न प्रदान किया । शिक्षक के रूप में उनका योगदान बहुत ही सराहनीय था । उनका मानना था कि शिक्षक ही अच्छे समाज की रूपरेखा तैयार करते हैं । उन्होंने अपने जीवन में सदा ही एक अच्छे शिक्षक के रूप में कार्य किया तथा अन्य लोगों को भी शिक्षक बनने के लिए प्रेरित किया । उन्होंने अपने छात्रों को सदा यही समझाया जो ज्ञान में अभी प्राप्त कर रहे हैं उसे भावी पीढ़ी तक पहुंचाएं ताकि समाज निरंतर आगे बढ़े।

17 अप्रैल 1975 को डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन की मृत्यु हो गई । देश में शिक्षा के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान तथा उनके दार्शनिक विचारों को सम्मान देने के लिए उनके जन्मदिवस 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा । तब से लेकर आज तक 5 सितंबर शिक्षकों को राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया जाता है । इस दिन महान शिक्षक डॉ राधाकृष्णन को याद किया जाता है तथा उनके दिखाए गए मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया जाता है ।

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शिक्षक दिवस का महत्व

समाज के अच्छे भविष्य के लिए सभी को उत्कृष्ट शिक्षा मिलना जरुरी है। बिना किसी संशय के यह सच है कि अच्छी शिक्षा अच्छे शिक्षकों के द्वारा ही मिल सकती है। आदि काल से ही शिक्षा पर बहुत जोर दिया गया है। हमारे आदि ग्रंथों में इस बात का जिक्र मिलता है कि प्रभु श्री राम ने गुरुकुल में जाकर शिक्षा ग्रहण की थी। उस समय से ही गुरुओं को समाज में सबसे ऊपरी दर्जा मिलता था । गुरुओं का स्थान राजा से भी ऊपर होता था।

राजा दशरथ ने भी महागुरु महर्षि विश्वामित्र की बात मानकर प्रभु श्री राम को शिक्षा ग्रहण करने गुरुकुल भेजा था।महर्षि विश्वामित्र प्रभु श्री राम के गुरु  थे। इन्होंने ही भगवान राम  को धनुर्विद्या और शास्त्रों का ज्ञान दिया था। प्रभु श्री राम को राज-पाठ संभालने का ज्ञान और वेदों की शिक्षा ऋषि वशिष्ठ ने दी थी। ऋषि वशिष्ठ के हाथों से ही भगवन राम  का राज्याभिषेक हुआ था।

गुरु शिष्य की इसी भावना को बनाये रखने के लिए शिक्षक दिवस का बहुत महत्व है । शिक्षक दिवस के दिन छात्र विभिन्न प्रकार के नाटक नृत्य तथा अन्य तरह के कार्यक्रम शिक्षकों को सम्मान देने के लिए करते हैं । कई स्कूलों तथा संस्थानों में वाद -विवाद प्रतियोगिता भी होती है । इस दिन का महत्व इसलिए भी है कि नई पीढ़ी शिक्षक बनने के लिए प्रेरित हों ताकि एक अच्छे समाज की नींव राखी जा सके ।

निष्कर्ष के तौर पर हम यह कह सकते हैं की शिक्षक दिवस अच्छे विचारों तथा तथ्यों को अपनाने का दिन है । यह दिन बुरी आदतों को छोर कर अच्छी आदतों को अपनाने का दिन है ।

शिक्षक दिवस पर भाषण

शिक्षक दिवस के शुभ अवसर पर भाषण प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती है । मैंने इस पोस्ट के माध्यम से छात्रों के लिए एक अच्छे भाषण का प्रारूप दे रहा हूँ । आशा करता हूँ की यह आपके लिए लाभप्रद होगा । आपकी सुविधा के लिए मैंने इसका pdf इस पोस्ट के अंत में संलग्न किया है । अपनी सहूलियत के लिए आप डाउनलोड कर सकते हैं ।

आम तौर पर शिक्षक दिवस में 4-5 मिनट का भाषण रहता है । इस बात का ध्यान रखते हुए मैंने लगभग 600 शब्दों का भाषण तैयार किया है । आप अपनी सुविधानुसार इसे घटा या बढ़ा सकते हैं । अच्छे भाषण के लिए उसका शुरुआत अच्छा होना जरुरी है ताकि श्रोता आपकी ओर आकर्षित हों। ज्यादा लच्छेदार शब्द भाषण को बनावटी बनता है उसमें अपनत्व की भावना ख़त्म हो जाती है । इसलिए यह कोशिश करनी चाहिए कि आप साधारण शब्दों का इस्तेमाल करें ताकि अपने आप को लोगों से जोड़ सकें । तो चलिए Teachers day speech in Hindi का विस्तृत रूप देखते हैं ।

भाषण

आदरणीय सभापति महोदय, प्राचार्य महोदय, मंच पर विराजमान आदरणीय शिक्षकगण एवं मेरे सहपाठियों । मैं आपलोगों का तहेदिल से आभार व्यक्त करता हूँ कि आपने मुझे शिक्षक दिवस के शुभ अवसर पर बोलने के लिए मंच प्रदान किया । मैं अपने शिक्षकों को नमन करता हूँ जिनकी बदौलत मैं आज यहाँ तक पहुँच पाया हूँ । इस अवसर पर मैं देशरत्न डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन को भी नमन करता हूँ जिन्होंने समाज को उत्कृष्ट बनाने के लिए अपना महत्पूर्ण योगदान दिया । अपने पहले गुरु मेरे माता पिता को भी मैं इस अवसर पर नमन करता हूँ जिन्होंने मुझे जीवन में सही रह दिखलाई ।

किसी भी देश की प्रगति के लिए शिक्षा बहुत मतहत्वपूर्ण है । यह देश की दशा और दिशा निर्धारित करती है । अच्छी शिक्षा के लिए अच्छे शिक्षकों का होना जरुरी है। मैं पुनः शिक्षकों का वंदन करता हूँ, नमन करता हूँ जो निःस्वार्थ भाव से समाज को शिक्षित करने का कार्य कर रहे हैं ।शिक्षक हमारे अंदर की बुराई को दूर करके हमे एक अच्छा इंसान बनाते हैं । इस अवसर पर मुझे महर्षि तुलसीदास द्वारा लिखी कुछ पंक्तियाँ याद आ गयी जिसे मैंअपने गुरुओं को समर्पित करता हूँ ।

 बंदऊं गुरु पद पदुम परागा। सुरुचि सुबास सरस अनुरागा॥अमिअ मूरिमय चूरन चारू। समन सकल भव रुज परिवारू॥
सुकृति संभु तन बिमल बिभूती। मंजुल मंगल मोद प्रसूती॥जन मन मंजु मुकुर मल हरनी। किएं तिलक गुन गन बस करनी॥

पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने एक बार अपने भाषण के दौरान कहा था कि ” शिक्षक देश की सबसे मूल्यवान संपत्ति है। शिक्षकों की काबिलियत अलग-अलग हो सकती है पर वे छात्र को योग्य तथा बुद्धिमान बनाते हैं ।”

छात्र जीवन मनुष्य के जीवन का अहम् पड़ाव होता है । इसी दौरान उसका चरित्र निर्माण होता है तथा भविष्य की दिशा तय होती है। मनुष्य के जीवन मूल्यों को बढ़ने तथा चरित्र निर्माण करने में शिक्षक अहम किरदार अदा करते हैं।

आपने वो प्रमुख पंक्तियाँ तो सुनी ही होंगी

गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागू पाय । बलिहारी गुरु आपनो, जिन गोविंद दियो बताय ।।

गुरुओं को भगवान् से भी ऊपर का दर्जा दिया गया है ।महाभारत की पौराणिक कथा में एकलव्य का वर्णन मिलता है , जिन्होंने गुरु द्रोणाचार्य की मूर्ति बनाकर ही धनुर्विद्या सीख ली थी । गुरु के प्रति आस्था, विश्वास और समर्पण के कारण ही एकलव्य ऐसा कर पाए थे।

शिक्षक दिवस को देशरत्न डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस पर उन्हें सम्मान देने के लिए मनाया जाता है ।उन्होंने शिक्षक के रूप में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया ।वे देश के प्रथम उपराष्ट्रपति तथा दूसरे राष्ट्रपति भी थे। छात्रों के प्रति उनका समर्पण भाव अतुलनीय था ।एक गरीब ब्राह्मण परिवार में जन्मे डॉ कृष्णन बचपन से ही मेधावी थे । उन्होंने अपने लेखों तथा भाषणों के माध्यम से भारतीय दर्शनशास्त्र से पूरे विश्व को परिचित कराया । पुरे विश्व में इसकी भूरी भूरी प्रशंसा हुई ।

इसमें कोई संशय नहीं कि शिक्षक पूरी ईमानदारी के साथ छात्रों का जीवन सँवारते हैं ।दूसरी ओर मैं इस सभा का ध्यान इस ओर आकृष्ट करना चाहूँगा कि देश में कुछ शिक्षण संस्थान ऐसे हैं जो शिक्षा का व्यापारीकरण करने में तुले हैं । मैं इस मंच के माध्यम से कहना चाहूँगा कि यह सही नहीं हैं । अच्छी शिक्षा का अधिकार देश के हर एक नागरिक को है । महँगी शिक्षा होने से गरीब मेधावी छात्र अच्छी शिक्षा नहीं ले पाते हैं इससे देश के विकास में रुकावट पैदा होती है । सरकार को इस दिशा में कोई ठोस कदम उठाने चाहिए ताकि कोई भी शिक्षण संस्थान अपनी मनमानी न कर सके।

और अंत में मैं अपना व्यक्तव्य कुछ पंक्तियों के साथ समाप्त करना चाहूँगा :-

ज्ञान के दीपक है आप , उज्जवल कीजिये मेरा जीवन

छँटा दीजिये अज्ञान के बादल , मेरा तन मन है आपपर अर्पण

इन्ही शब्दों के साथ मैं अपना व्यक्तव्य समाप्त करता हूँ । जय हिन्द, जय भारत ।

शिक्षक दिवस शायरी और मैसेज

गुरु तेरे उपकार का,
कैसे चुकाऊं मैं मोल,
लाख कीमती धन भला,
गुरु हैं मेरे अनमोल

गुरु की उर्जा सूर्य-सी, अम्बर-सा विस्तार,
आपकी की गरिमा से बड़ा, नहीं कहीं आकार।
गुरु का सद्सान्निध्य ही,जग में हैं उपहार,
प्रस्तर को क्षण-क्षण गढ़े, मूरत हो तैयार।

जो बनाए हमें इंसान
और दे सही-गलत की पहचान
देश के उन निर्माताओं को
हम करते हैं शत-शत प्रणाम!

जीवन में कभी हार न मानना
संघर्षों से कभी न भागना
मुसीबतों का डट कर करना सामना
हो कुछ भी सच्चाई के मार्ग पर चलना
ये आप ही तो हमें सिखलाते हैं
इसलिए आप गुरु हमारे कहलाते हैं

गुरूदेव के श्रीचरणों में
श्रद्धा सुमन संग वंदन
जिनके कृपा नीर से
जीवन हुआ चंदन
धरती कहती, अंबर कहते
कहती यही तराना
गुरू आप ही वो पावन नूर हैं।
जिनसे रौशन हुआ जमाना।

अज्ञानता को दूर करके आपने ज्ञान की ज्योत जलाई है,
आप के साथ रहकर हमने अच्छी शिक्षा पाई है,
गलत राह पर भटके जब भी हम,
तो अपने ही हमें सही राह दिखाई है!!

सारांश

शिक्षक दिवस हर वर्ष 5 सितम्बर को मनाया जाता है ।

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस पर शिक्षक दिवस मानते हैं ।

इनका जन्म तमिलनाडु के तिरुतनी ग्राम में हुआ था ।

5 सितम्बर 1888 को इनका जन्म हुआ था ।

इनका जन्म एक गरीब ब्राह्मण परिवार में हुआ था ।

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक समर्पित शिक्षक थे ।

उन्होंने अपना पूरा जीवन छात्रों को शिक्षित करने में लगा दिया था ।

छात्रों के प्रति उनका समर्पण भाव अतुलनीय था ।

वे देश के प्रथम उपराष्ट्रपति तथा द्वितीय राष्ट्रपति भी थे ।

उन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान देशरत्न से सम्मानित किया गया था ।

शिक्षक दिवस मनाने का उद्देश्य शिक्षकों को प्रोत्साहित तथा सम्मानित करना है ।

Teachers day speech in Hindi पोस्ट के माध्यम से मैंने शिक्षक दिवस के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की है ।

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