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तनावमुक्त जीवन के लिए योग

आधुनिक जीवन में तनाव की व्यापकता

विषय-सूचि

आज के भाग दौड़ भरी जिंदगी में तनावग्रस्त जीवन एक आम बात हो गयी है। आज के जीवन में मनुष्य विभिन्न प्रकार के तनाव से ग्रस्त है जैसे कि :-

  • आर्थिक चिंताएँ :- किसी भी मनुष्य में तनाव का मुख्य कारण आर्थिक चिंताएं हैं। अपने और अपने परिवार के लिए आर्थिक स्थिरता न होना इसका मुख्य कारण  है। आज आज़ादी के 75 साल बाद भी देश की लगभग 30 प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा से नीचे जिंदगी बसर कर रही है। मध्यवर्गीय व्यक्ति अपने रोज़ के खर्च , बच्चों की शिक्षा, उनकी शादी, भविष्य के लिए बचत आदि से परेशान है। ऐसे में व्यक्ति का तनाव होना एक आम बात हो गयी है।
  • काम का बोझ :- आज एक नौकरी पेशा आदमी हो या स्वरोजगार करने वाला या घर की महिलाएं ही क्यों न हों सभी काम के बोझ तले दबे हैं। व्यक्ति अपने क्षमता से ज्यादा काम कर रहा है। ऐसे में तनाव होना स्वाभाविक ही है।
  • सामाजिक अपेक्षाएं :- आजकल ये एक बिलकुल आम समस्या हो गयी है। सामाजिक अपेक्षाएं तनाव का एक वृहत कारण हैं। समाज में लोग दूसरे को देख कर उसके जैसे करना/बनना चाहते हैं।  नहीं कर पाने की स्थिति में तनाव उत्पन्न होता है।तनाव शारीरिक रूप से (सिरदर्द, थकान, मांसपेशियों में जकड़न) और मानसिक रूप से (चिंता, अवसाद, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई) का कारण बन जाती है।

तनाव प्रबंधन की आवश्यकता

बेहतर स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती के लिए तनाव प्रबंधन की आवश्यकता है। तनाव प्रबंधन में कुछ चीजें आपकी मदद कर सकता है जैसे कि :-

  • ध्यान

ध्यान करना एक प्राचीन समय का उपाय है जिससे तनाव कम करने में बहुत मदद मिलती है। इसमें अपने मस्तिष्क को एकाग्रचित किया जाता है।  इस प्रक्रिया में एक ऊँचे आसान में ( जो बहुत ऊँचा भी ना हो ) बैठ कर अपने ध्यान को नासिका के अग्र भाग में केंद्रित किया जाता है। श्रीमदभागवतगीता में इसका विवरण किया गया है।  गीता के अध्याय 6 श्लोक 11 से 14  तक इसका जिक्र किया गया है जो इस प्रकार है :-

                                                                                  शुचौ देशे प्रतिष्ठाप्य स्थिरमासनमात्मन: |
                                                                               नात्युच्छ्रितं नातिनीचं चैलाजिनकुशोत्तरम् ||11|| 

                                                                                 तत्रैकाग्रं मन: कृत्वा यतचित्तेन्द्रियक्रिय: |
                                                                                 उपविश्यासने युञ्ज्याद्योगमात्मविशुद्धये || 12||

यानि, शुद्ध भूमि में, जिसके ऊपर क्रमशः कुशा, मृगछाला और वस्त्र बिछे हैं , जो न बहुत ऊँचा है और न बहुत नीचा, ऐसे अपने आसन को स्थिर स्थापन करके उस आसन पर बैठकर चित्त और इन्द्रियों की क्रियाओं को वश में रखते हुए मन को एकाग्र करके अन्तःकरण की शुद्धि के लिए योग का अभ्यास करें।

                                                                                      समं कायशिरोग्रीवं धारयन्नचलं स्थिर: |
                                                                             सम्प्रेक्ष्य नासिकाग्रं स्वं दिशश्चानवलोकयन् || 13||

                                                                                प्रशान्तात्मा विगतभीर्ब्रह्मचारिव्रते स्थित: |
                                                                            मन: संयम्य मच्चित्तो युक्त आसीत मत्पर: || 14||

यानि, काया सर और गले को समान एवं अचल धारण करके और स्थिर होकर, अपनी नासिका के अग्र भाग पर दृष्टि जमाकर , अन्य दिशाओं को न देखता हुआ – ब्रह्मचारी के व्रत में स्थित, भयरहित तथा भलीभाँति शांत अंतःकरण वाला सावधान योगी मन को रोककर मुझमें चित्तवाला और मेरे परायण होकर स्थित होवे।

  • प्राणायाम

ध्यान के बाद प्राणायाम की बहुत से क्रियाएं तनाव को कम करने में मदद करती हैं। प्राणायाम में मुख्यतः गहरी सांसों वाली क्रियाएँ तनाव को कम करने में बहुत कारगर सिद्ध होती हैं। जैसे अनुलोम – विलोम, कपालभाँति, भ्रामरी , भस्त्रिका आदि। प्राणायाम मुख्यतः, नींद की गुणवत्ता में सुधार करता है,उच्च रक्तचाप को कम करता है, फेफड़ों की कार्यक्षमता में सुधार करता है, मस्तिष्क को शांत करता है, इस कारण से तनाव में कमी आती है।

  • प्रकृति में समय बिताना

तनाव को कम करने का एक उपाय प्रकृति के संग समय बिताना भी है। इससे मन शांत होता है।  शरीर में एक नयी ऊर्जा तथा स्फूर्ति का संचालन होता है। कोशिश करें कि रोज कम से कम एक घंटे प्रकृति के बीच ही  बिताएं।

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योग: तनाव प्रबंधन के लिए

एक समृद्ध इतिहास और दर्शन

योग, जिसका अर्थ है “संघ” या “एकजुट होना”, 5,000 साल से भी अधिक पुराना एक प्राचीन भारतीय अभ्यास है। सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेषों में योग मुद्राएं (आसन) दर्शाए गए हैं, जो इस बात का प्रमाण है कि यह दर्शन सदियों से भारत में मौजूद है। योग दर्शन, जो उपनिषदों और अन्य प्राचीन ग्रंथों में निहित है, जीवन, चेतना और ब्रह्मांड की प्रकृति के बारे में गहन ज्ञान प्रदान करता है।

शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य के लिए एक समग्र दृष्टिकोण

यह  केवल शारीरिक व्यायाम से कहीं अधिक है। यह तन, मन और आत्मा को जोड़ने की एक समग्र प्रणाली है। आसन (शारीरिक मुद्राएं), प्राणायाम (श्वास नियंत्रण), ध्यान और मुद्रा (हाथों की मुद्राएं) सहित विभिन्न योगिक तकनीकों का अभ्यास करके, हम अपने शरीर को मजबूत और लचीला बना सकते हैं, अपने मन को शांत और केंद्रित कर सकते हैं, और अपनी आत्मा को आत्म-साक्षात्कार की ओर ले जा सकते हैं।

आसन: शक्ति, लचीलापन और संतुलन का निर्माण

योगासन शारीरिक मुद्राएं हैं जो विभिन्न मांसपेशी समूहों को लक्षित करती हैं, शक्ति, लचीलापन और संतुलन में सुधार करती हैं। सूर्य नमस्कार, त्रिकोणासन, वृक्षासन और अधोमुख श्वानासन जैसे कुछ लोकप्रिय आसन हैं। आसन का अभ्यास करने से रक्त संचार बेहतर होता है, पाचन तंत्र मजबूत होता है, और तनाव और चिंता कम होती है।

प्राणायाम: जीवन शक्ति (प्राण) को नियंत्रित करना

प्राणायाम श्वास नियंत्रण तकनीकें हैं जो हमें अपनी श्वास को नियंत्रित करना और धीमा करना सिखाती हैं। अनुलोम विलोम (अन वैकल्पिक नाक श्वास), कपालभाति (ब्रेथ ऑफ फायर) और भ्रामरी प्राणायाम (हम्सिंग बी श्वास) कुछ लोकप्रिय प्राणायाम तकनीकें हैं। प्राणायाम का अभ्यास करने से मन शांत होता है, एकाग्रता में सुधार होता है, और तनाव और चिंता कम होती है।

ध्यान: मन को शांत करना और वर्तमान क्षण में रहना

ध्यान एकाग्रता और सचेतता की एक शक्तिशाली तकनीक है जो हमें अपने विचारों, भावनाओं और संवेदनाओं के प्रति अधिक जागरूक बनाती है। ध्यान के कई अलग-अलग तरीके हैं, लेकिन शुरुआती लोगों के लिए सबसे सरल तरीका है कि वे अपनी श्वास पर ध्यान केंद्रित करें। ध्यान का अभ्यास करने से मन शांत होता है, तनाव कम होता है, और एकाग्रता और आत्म-जागरूकता में सुधार होता है।

योग का वैज्ञानिक आधार

आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधान ने योग के कई स्वास्थ्य लाभों की पुष्टि की है। अध्ययनों से पता चला है कि योग तनाव, चिंता, अवसाद और अनिद्रा को कम करने में मदद कर सकता है। यह रक्तचाप, हृदय गति और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को भी कम कर सकता है। योग मांसपेशियों की ताकत, लचीलापन और संतुलन में सुधार करने में भी मदद कर सकता है।

योग: हर किसी के लिए

योग हर उम्र, लिंग और फिटनेस स्तर के लोगों के लिए उपयुक्त है। यदि आप तन, मन और आत्मा को स्वस्थ और संतुलित रखना चाहते हैं, तो योग आपके लिए एक आदर्श अभ्यास है। योग शुरू करने के लिए आपको किसी विशेष उपकरण या अनुभव की आवश्यकता नहीं है। आप घर पर ही आसान योगासनों से शुरुआत कर सकते हैं।

तनाव और उसके प्रभाव को समझना

तनाव का शरीरक्रिया विज्ञान

जब हम किसी चुनौतीपूर्ण या खतरनाक परिस्थिति का सामना करते हैं, तो हमारा शरीर “लड़ाई-या-भागने” प्रतिक्रिया के माध्यम से तनाव का जवाब देता है। यह एक प्राकृतिक प्रतिक्रिया है जो हमें तत्काल खतरे से लड़ने या उससे बचने में मदद करती है।

इस प्रतिक्रिया में निम्नलिखित चरण शामिल हैं:

  1. धारणा: मस्तिष्क खतरे का पता लगाता है।
  2. मूल्यांकन: मस्तिष्क खतरे की गंभीरता का आकलन करता है।
  3. प्रतिक्रिया: यदि खतरा गंभीर है, तो मस्तिष्क शरीर को हार्मोन रिलीज करने का संकेत देता है जो लड़ाई-या-भागने की प्रतिक्रिया को ट्रिगर करते हैं।

लड़ाई-या-भागने की प्रतिक्रिया में निम्नलिखित शारीरिक परिवर्तन शामिल हैं:

  • हृदय गति और रक्तचाप में वृद्धि: यह शरीर को मांसपेशियों और अंगों तक अधिक ऑक्सीजन और पोषक तत्व पहुंचाने में मदद करता है।
  • श्वसन दर में वृद्धि: यह शरीर को अधिक ऑक्सीजन लेने में मदद करता है।
  • मांसपेशियों में तनाव: यह शरीर को लड़ने या भागने के लिए तैयार करता है।
  • पाचन तंत्र में कमी: यह शरीर को ऊर्जा को अन्य कार्यों पर पुनर्निर्देशित करने में मदद करता है।
  • रक्त शर्करा का स्तर बढ़ना: यह शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है।
  • प्रतिरक्षा प्रणाली का दमन: यह शरीर को तत्काल खतरे पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है।

तनाव का दीर्घकालिक प्रभाव:

यदि तनाव लंबे समय तक बना रहता है, तो यह हमारे स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। पुराना तनाव शरीर की कोर्टिसोल के स्तर को लगातार ऊंचा रख सकता है, जिससे रक्तचाप बढ़ सकता है, रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो सकती है, और हृदय रोग, मधुमेह और अवसाद जैसी विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है।

मनोवैज्ञानिक प्रभाव:

तनाव का मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है। यह चिंता, घबराहट, और बेचैनी पैदा कर सकता है। यह अवसाद, अनिद्रा, और चिड़चिड़ापन का कारण भी बन सकता है। साथ ही, यह हमारे ध्यान केंद्रित करने और निर्णय लेने की क्षमता को भी कमजोर कर सकता है।

तनाव से निपटने के तरीके:

मानसिक तनाव से निपटने के कई अलग-अलग तरीके हैं। कुछ स्वस्थ तरीकों में शामिल हैं:

  • व्यायाम:

    नियमित व्यायाम तनाव हार्मोन को कम करने और एंडोर्फिन (मूड-बढ़ाने वाले हार्मोन) को बढ़ाने में मदद कर सकता है।

  • योग और ध्यान: योग और ध्यान तनाव को कम करने और मन को शांत करने में मदद कर सकते हैं।
  • स्वस्थ आहार: स्वस्थ आहार खाने से शरीर को तनाव से लड़ने के लिए आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं।
  • पर्याप्त नींद: पर्याप्त नींद लेने से शरीर को तनाव से उबरने में मदद मिलती है।
  • सामाजिक समर्थन: दोस्तों और परिवार से बात करना तनाव को कम करने में मदद कर सकता है।
  • पेशेवर मदद: यदि आप तनाव से निपटने में कठिनाई महसूस कर रहे हैं, तो आप किसी चिकित्सक या परामर्शदाता से पेशेवर मदद ले सकते हैं।

तनाव कम करने के उपकरण के रूप में योग

आसान योगासन और फायदे

ताड़ासन (माउंटेन पोज़)

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में तनाव एक आम समस्या बन गई है। काम का बोझ, पारिवारिक जिम्मेदारियां और सामाजिक दबाव हमें तनावग्रस्त कर देते हैं। तनाव से निपटने के कई तरीके हैं, लेकिन योग उनमें से सबसे प्रभावी और प्राकृतिक तरीकों में से एक है।

योग एक प्राचीन भारतीय अनुशासन है जो शरीर, मन और आत्मा को संतुलित करने पर ध्यान केंद्रित करता है। योगासन, प्राणायाम, ध्यान और मुद्राएं तनाव को कम करने, मानसिक शांति बढ़ाने और समग्र स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद करती हैं।

ताड़ासन, जिसे माउंटेन पोज़ भी कहा जाता है, योगासनों में सबसे बुनियादी और महत्वपूर्ण आसनों में से एक है। यह एक खड़ी मुद्रा है जो पूरे शरीर को संरेखित करती है, रीढ़ की हड्डी को सीधी करती है, और संतुलन और स्थिरता में सुधार करती है। ताड़ासन का अभ्यास सभी उम्र और क्षमताओं के लोगों द्वारा किया जा सकता है।

ताड़ासन के लाभ

  • रीढ़ की हड्डी को सीधा करता है: ताड़ासन रीढ़ की हड्डी को लंबा और सीधा करने में मदद करता है, जिससे पीठ दर्द और रीढ़ की हड्डी की समस्याओं को कम करने में मदद मिल सकती है।
  • संतुलन और स्थिरता में सुधार करता है: ताड़ासन पैरों और टखनों में मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद करता है, जिससे संतुलन और स्थिरता में सुधार होता है।
  • शरीर को संरेखित करता है: ताड़ासन पूरे शरीर को संरेखित करने में मदद करता है, जिससे बेहतर मुद्रा और कम तनाव हो सकता है।
  • पाचन में सुधार करता है: ताड़ासन पाचन अंगों को उत्तेजित करने में मदद करता है, जिससे पाचन में सुधार हो सकता है।
  • ऊर्जा बढ़ाता है: ताड़ासन शरीर को ऊर्जावान और ताज़ा महसूस कराने में मदद करता है।
  • तनाव और चिंता कम करता है: ताड़ासन मन को शांत करने और तनाव और चिंता को कम करने में मदद करता है।
ताड़ासन

ताड़ासन कैसे करें

  1. खड़े हो जाएं, पैर कूल्हों की चौड़ाई से अलग रखें।
  2. अपने पैरों को जमीन में दबाएं और अपने घुटनों को सीधा करें।
  3. अपनी जांघों को अंदर की ओर खींचें और अपनी टेलबोन को थोड़ा नीचे की ओर खींचें।
  4. अपनी छाती को चौड़ा करें और अपनी पसलियों को ऊपर की ओर उठाएं।
  5. अपनी कंधों को नीचे और पीछे आराम दें।
  6. अपनी गर्दन को लंबा रखें और अपने सिर को छत की ओर खींचें।
  7. अपनी बाहों को अपने बाजू पर आराम दें, हथेलियां सामने की ओर।
  8. अपनी आंखों को बंद करें और गहरी, समान सांसें लें।
  9. 30 सेकंड से 1 मिनट तक इस मुद्रा में रहें।

वृक्षासन (ट्री पोज़)

 ट्री पोज़ या वृक्षासन, एक खड़ी संतुलन मुद्रा है जो एकाग्रता, फोकस और संतुलन में सुधार करने में मदद करती है। यह आसन पैरों, टखनों और कोर को मजबूत करने में भी मदद करता है। वृक्षासन का अभ्यास सभी उम्र और क्षमताओं के लोग कर सकते हैं, लेकिन शुरुआती लोगों को दीवार या कुर्सी के पास अभ्यास करना मददगार हो सकता है।

इस आसन  के लाभ

  • एकाग्रता और फोकस में सुधार करता है: इसको  करने के लिए एकाग्रता और फोकस की आवश्यकता होती है, जो इन मानसिक कौशलों को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है।
  • संतुलन में सुधार करता है: यह आसन  एक संतुलन मुद्रा है जो पैरों, टखनों और कोर में मांसपेशियों को मजबूत करके संतुलन में सुधार करने में मदद करती है।
  • पैरों और टखनों को मजबूत करता है:  पैरों और टखनों में मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद करता है, जो गिरने और चोटों को रोकने में मदद कर सकता है।
  • कोर को मजबूत करता है: यह आसन  कोर की मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद करता है, जो पीठ दर्द को कम करने और मुद्रा में सुधार करने में मदद कर सकता है।
  • तनाव और चिंता कम करता है: यह  मन को शांत करने और तनाव और चिंता को कम करने में मदद करता है।
वृक्षासन

वृक्षासन कैसे करें

  1. ताड़ासन (माउंटेन पोज़) में खड़े हो जाएं।
  2. अपनी दाहिनी जांघ को ऊपर उठाएं और अपने दाहिने पैर का तलवा अपने बाएं जांघ के अंदर रखें, घुटने को बाहर की ओर मोड़ें। यदि आप शुरुआती हैं, तो आप अपना पैर घुटने के नीचे रख सकते हैं।
  3. अपनी हथेलियों को नमस्ते की मुद्रा में अपनी छाती के सामने रखें।
  4. अपनी आँखें बंद करें और गहरी, समान साँसें लें।
  5. 30 सेकंड से 1 मिनट तक इस मुद्रा में रहें।
  6. दूसरी तरफ दोहराएं।

सूर्य नमस्कार (सन सल्यूटेशन)

सूर्य नमस्कार, जिसे सन सल्यूटेशन भी कहा जाता है, योगासनों का एक गतिशील क्रम है जो पूरे शरीर को गर्म और खींचता है। यह 12 आसनों का एक क्रम है जो सांस के साथ तालमेल में किया जाता है। सूर्य नमस्कार को एक पूर्ण योग अभ्यास माना जाता है क्योंकि यह सभी प्रमुख मांसपेशी समूहों को काम करता है, लचीलेपन और शक्ति में सुधार करता है, और हृदय स्वास्थ्य को बढ़ाता है। सूर्य नमस्कार का अभ्यास सभी उम्र और क्षमताओं के लोग कर सकते हैं।

इस आसन के लाभ

  • पूरे शरीर को गर्म और खींचता है

सूर्य नमस्कार पूरे शरीर को गर्म और खींचता है, जिससे लचीलापन और गति की सीमा में सुधार होता है।

  • शक्ति और सहनशक्ति में सुधार करता है

सूर्य नमस्कार सभी प्रमुख मांसपेशी समूहों को काम करता है, जिससे शक्ति और सहनशक्ति में सुधार होता है।

  • हृदय स्वास्थ्य को बढ़ाता है: सूर्य नमस्कार हृदय गति को बढ़ाता है और रक्त प्रवाह को बेहतर बनाता है, जिससे हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलता है।
  • पाचन में सुधार करता है: सूर्य नमस्कार पाचन अंगों की मालिश करता है, जिससे पाचन में सुधार होता है।
  • तनाव और चिंता कम करता है: सूर्य नमस्कार मन को शांत करने और तनाव और चिंता को कम करने में मदद करता है।
  • एकाग्रता और फोकस में सुधार करता है: सूर्य नमस्कार को सांस के साथ तालमेल में करने से एकाग्रता और फोकस में सुधार होता है।
  • आत्मविश्वास बढ़ाता है: सूर्य नमस्कार का अभ्यास करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन इसे नियमित रूप से करने से आत्मविश्वास बढ़ सकता है।
सूर्यनमस्कार

इसे  कैसे करें:

  1. ताड़ासन (माउंटेन पोज़) में खड़े हो जाएं।
  2. सांस छोड़ते हुए, प्रणामासन (प्रार्थना पोज़) में आगे झुकें।
  3. सांस लेते हुए, उर्ध्व हस्तोत्तानासन (हाइ रीच पोज़) में अपने हाथों को ऊपर उठाएं।
  4. सांस छोड़ते हुए, अधो मुख स्वानासन (डाउनवर्ड-फेसिंग डॉग पोज़) में आगे की ओर झुकें।
  5. सांस लेते हुए, अष्टांगासन (आठ-एंगल पोज़) में आएं।
  6. सांस छोड़ते हुए, चतुरंग दंडासन (प्लैंक पोज़) में आएं।
  7. सांस लेते हुए, उर्ध्व मुख स्वानासन (अपवर्ड-फेसिंग डॉग पोज़) में आएं।
  8. सांस छोड़ते हुए, अश्व संचलानासन (हॉर्स पोज़) में एक पैर आगे बढ़ाएं।
  9. सांस लेते हुए, अंजनेयासन (लो लंज पोज़) में आगे झुकें।
  10. सांस छोड़ते हुए, अश्व संचलानासन (हॉर्स पोज़) में दूसरा पैर आगे बढ़ाएं।
  11. सांस लेते हुए, उर्ध्व हस्तोत्तानासन (हाइ रीच पोज़) में अपने हाथों को ऊपर उठाएं।
  12. सांस छोड़ते हुए, प्रणामासन (प्रार्थना पोज़) में वापस आएं।

यह एक चक्र पूरा करता है। आप अपनी आवश्यकताओं के अनुसार 3 से 12 चक्र दोहरा सकते हैं।

शवासन (कोर्पस पोज़):

शवासन, जिसे कोर्पस पोज़ के नाम से भी जाना जाता है, योग अभ्यास का अंतिम विश्राम आसन है। यह शरीर और मन को गहराई से आराम देने और योग सत्र के लाभों को एकीकृत करने में मदद करता है।

भले ही शवासन सरल लगती है, यह वास्तव में सबसे कठिन आसनों में से एक हो सकती है। यह इसलिए है क्योंकि इसमें हमारे व्यस्त दिमागों को शांत करना और शरीर को पूरी तरह से छोड़ देना शामिल है।

इस आसन  के लाभ:

  • गहरा विश्राम: यह आसन शरीर को गहराई से आराम देने में मदद करती है, जिससे मांसपेशियों में तनाव कम होता है, रक्तचाप कम होता है, और हृदय गति धीमी होती है।
  • तनाव और चिंता कम करता है: शवासन मन को शांत करने और तनाव और चिंता को कम करने में मदद करती है।
  • नींद की गुणवत्ता में सुधार करता है: नियमित रूप से शवासन का अभ्यास करने से नींद की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है।
  • एकाग्रता और फोकस में सुधार करता है: शवासन से दिमाग शांत होता है, जिससे एकाग्रता और फोकस में सुधार हो सकता है।
  • आत्म-जागरूकता बढ़ाता है: शवासन के दौरान अपने शरीर की संवेदनाओं पर ध्यान देने से आत्म-जागरूकता बढ़ सकती है।
शवासन

शवासन कैसे करें:

  1. अपनी योग चटाई पर अपनी पीठ के बल लेट जाएं।
  2. अपने पैरों को कूल्हों की चौड़ाई से अलग रखें और अपने पैरों के पंजों को बाहर की ओर फैलाएं।
  3. अपनी बाहों को अपने शरीर के बगल में रखें, हथेलियां ऊपर की ओर।
  4. अपनी आंखें बंद करें।
  5. धीमी और गहरी सांसें लें। अपने शरीर को प्रत्येक श्वास के साथ आराम दें।
  6. अपने शरीर में किसी भी तनाव या परेशानी को छोड़ दें।
  7. 5 से 10 मिनट के लिए इस स्थिति में रहें।
 

 

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